बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-2 शिक्षाशास्त्र बीए सेमेस्टर-2 शिक्षाशास्त्रसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-2 शिक्षाशास्त्र - सरल प्रश्नोत्तर
महत्वपूर्ण तथ्य
सर्वप्रथम भारत में यूरोपीय जातियों का आगमन हुआ।
लगभग 100 वर्षों तक यूरोपीयों ने भारत के साथ व्यापार किया।
17वीं शताब्दी के आरम्भ में यूरोपीय (पुर्तगाली डच, डेन, फ्रांसीसी तथा अंग्रेज) जातियों के लोग व्यापार करने के लिए भारत आये।
अन्त में 'ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कम्पनी की विजय हुई और भारत में अपना साम्राज्य स्थापित किया।
ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने धार्मिक तटस्थता की नीति अपनाई।
देशी शिक्षा की जाँच कराई गई। यह जाँच सर टॉमस मुनरों, एलफिस्टन और पादरी विलियम एडम द्वारा की गई।
देशी शिक्षा के अन्तर्गत कई संस्थाएँ जैसे गुरु गृह, संस्कृत विद्यालय, ग्रामीण पाठशालायें, मकतब और मदरसे आदि प्रमुख थे।
ईस्ट इण्डिया कम्पनी एक व्यापारिक संस्था थीं। अतः कम्पनी ने ईसाई धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए कार्य आरम्भ कर दिया।
ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने भारतवासियों को प्रोटेस्टेण्ट धर्म के प्रचार एवं प्रसार करने के लिए प्रशिक्षित किया।
भारत में सन् 1715 से 1731 ई. के मध्य धार्मिक स्कूल खोले गये।
इन स्कूलों का मुख्य उद्देश्य अंग्रेजों, एग्लोइण्डियनों, ईसाईयों आदि को निःशुल्क शिक्षा देना था।
वारेन हेस्टिंग्स (बंगाल के गर्वनर) ने कलकत्ता के मुसलमानों की सद्भावना प्राप्त करने के लिए मदरसा की स्थापना की थी जिसमें शिक्षा का माध्यम अरबी था।
1793 ई. में चार्ल्स ग्राण्ट ने ब्रिटिश लोकसभा के समक्ष बिल्बरफोर्स की सहायता से एक शिक्षा सम्बन्धी धारा जोड़ने का प्रस्ताव रखा था।
1805 ई. में कॉलेज में डॉ. गिल क्राइस्ट के अधीन कम्पनी के कर्मचारियों की शिक्षा भारतीय भाषाओं में उपलब्ध कराने के लिए एक विभाग की स्थापना की गई।
लार्ड मिन्टो प्राच्य साहित्य के समर्थक थे। वे सन् 1813 तक भारत के गर्वनर जनरल थे।
1813 के चार्टर के अनुसार भारत में ईसाई पादरियों को धर्म प्रचार की स्वतन्त्रता मिल गई।
1823 में लोक शिक्षा की सामान्य समिति की स्थापना की गई।
लोक शिक्षा की सामान्य समिति प्राच्य-पाश्चात्य विवाद का अन्त करने के लिए गठित की गई।
लोक शिक्षा सामान्य समिति ने प्राच्य शिक्षा के प्रसार के लिए दिल्ली तथा आगरा में नये विद्यालयों की स्थापना की।
20 वर्ष बाद कम्पनी का आज्ञा पत्र 1833 में पुनः संशोधित हुआ।
शिक्षा अनुदान की राशि 10 लाख कर दी गई। विलियम बैंटिक से 1813 के चार्टर की 43वीं धारा की व्याख्या एवं शिक्षा के माध्यम के विषय में कानूनी सलाह माँगी।
मैकाले ने 1835 में अपनी सलाह दी जो मैकाले के विवरण पत्र के नाम से प्रसिद्ध हुई।
हार्डिंग्स पढ़ने वालों की नौकरियों में प्राथमिकता दी।
लार्ड हार्डिंग्स ने 1844 में 101 प्राथमिक स्कूल और 1847 में एक नार्मल स्कूल खोला।
1849 ई. पंजाब प्रान्त का गठन हुआ।
लार्ड डलहौजी ने 1854 में एक विवरण पत्र जारी किया।
भारतीय शिक्षा नीति के सम्बन्ध में कम्पनी के संचालकों ने 19 जुलाई, 1854 को एक रिपोर्ट प्रस्तुत की थी, जिसे वुड का आज्ञापत्र कहा जाता है।
सन् 1857 ई. में ईस्ट इण्डिया कम्पनी के शासन का अन्त हो गया।
सन् 1858 ई. में महारानी विक्टोरिया भारत की साम्राज्ञी घोषित की गई।
भारतीय विद्वान वे व्यक्ति है, जो अरबी, फारसी और संस्कृत साहित्य का विशेष ज्ञान रखते हैं।
प्राच्य-पाश्चात्य विवाद के सम्बन्ध में ब्रिटिश संसद ने शैक्षिक अनुदान की राशि एक लाख से बढ़ाकर 10 लाख रु. वार्षिक कर दी।
प्राच्य पाश्चात्य विवाद उग्र हो गया। दोनों दलों के विचारों को भारत के गर्वनर जनरल बैंटिक के समक्ष रखा गया।
विलियम बैंटिक ने मैकाले को लोक शिक्षा की सामान्य समिति का प्रधान नियुक्त किया।
7 मार्च, 1835 को एक सरकारी विज्ञप्ति द्वारा सरकार की शिक्षा नीति घोषित कर दी गई।
प्राच्य-पाश्चात्य विवाद 24 नवम्बर 1839 ई. को लार्ड आकलैण्ड के विवरण- पत्र द्वारा समाप्त हुआ।
1813 के चार्टर की 43वीं धारा की व्याख्या में साहित्य शब्द का प्रयोग अंग्रेजी साहित्य के लिए है, न कि संस्कृत, अरबी तथा फारसी के साहित्य के लिए
भारत में अंग्रेजी भाषा शासक वर्ग द्वारा बोली जाने वाली भाषा है।
मैकाले भारत में आधुनिक शिक्षा की प्रगति के मार्ग में एक मशाल वाहक था।
निस्पन्दन सिद्धान्त के अनुसार केवल उच्च वर्ग को ही शिक्षित किया जाना था और उससे शिक्षा- निम्न वर्ग या जनसाधारण तक पहुँचायी जानी थी।
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- अध्याय - 1 वैदिक काल में शिक्षा
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- अध्याय - 3 प्राचीन भारतीय शिक्षा प्रणाली पर यात्रियों का दृष्टिकोण
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- अध्याय - 4 मध्यकालीन शिक्षा
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- अध्याय - 5 उपनिवेश काल में शिक्षा
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- अध्याय - 7 वुड का घोषणा पत्र - 1854
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- अध्याय - 15 राष्ट्रीय शिक्षा नीति - 2020
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- अध्याय - 17 प्रारम्भिक एवं माध्यमिक शिक्षा की समस्यायें
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- अध्याय - 18 उच्च शिक्षा की समस्यायें
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- अध्याय - 19 भारतीय शिक्षा को प्रभावित करने वाले कारक
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